लखनऊ/26.12.2021 : सुधियों की चांदनी में जी भर काव्य-स्नान। अवसर था स्मृति शेष गीतकार निर्मलेंदु शुक्ल की रचनाओं की उनके मरणोपरांत प्रकाशित कृति ‘सुधियों की चांदनी’ का लोकार्पण व कवि के व्यक्तित्व व कृतित्व पर परिचर्चा का। ‘आई सी एन मीडिया ग्रुप’ (आई सी एन) व उसकी सहयोगी संस्था ‘स्कालर इंस्टीट्यूट अॉफ मीडिया स्टडीज़’ (सिम्स) ने साहित्य, संस्कृति व भारतीय जीवन की सकारात्मकता के प्रति इसी विश्वास के पुनर्जागरण हेतु संयुक्त रूप से सकारात्मक इवेंट्स की एक श्रृंखला ‘एक कदम और’ (वन स्टेप मोर) प्रारंभ की जिसके तृतीय कदम के रूप में लखनऊ स्थित ‘सिम्स’ के सभागार में ‘निर्मलेंदु शुक्ल का रचना संसार : एक परिचर्चा’ का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता आई सी एन के एडीटर, संगीत के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त व यश भारती सम्मान से सम्मानित श्री केवल कुमार ने की।
कार्यक्रम का प्रारंभ करते हुये श्री तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एक्जीक्यूटिव एडीटर, आई सी एन (साहित्यकार, विधिविशेषज्ञ व लॉ फ़र्म ओनर) ने कहा कि यह समय मृतप्राय समाज की संवेदनाओं को पुनः जीवन देने का है। जब तक हम वास्तव में नहीं मर जाते, हमें मरने का कोई हक़ नहीं है। इस वैश्विक महामारी ने जिन्हें हमसे जुदा कर दिया, हम उनके लिए गंभीर रूप से संवेदित हैं लेकिन समाज का जितना जीवन आज भी जीवित है, उसके लिये यह उत्साह का पर्व है।
आई सी एन के एडीटर इन चीफ़ एवं सिम्स के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) शाह अयाज़ सिद्दीकी ने आई सी एन के विषय में बताते हुये कहा कि आई सी एन भारत को स्वयं से भी अधिक चाहने वाले विभिन्न क्षेत्रों की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं का ऐसा अंतर्राष्ट्रीय मंच है जो वैश्विक पटल पर भारतीय संस्कृति व सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है और न केवल शब्दों के माध्यम से वरन् अपने कार्यक्रमों से देश के सर्वांगीण विकास के लिए ‘रूरल इंटरप्रिन्यूरशिप’ की अगुवाई भी करता है। उन्होंने सिम्स की कार्य प्रणाली पर प्रकाश डालते हुये कहा कि पत्रकारिता एक बड़ा दायित्व है और विषम व संकटकालीन परिस्थितियों में यह दायित्व और भी बड़ा हो जाता है। ‘सिम्स’ पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसे ‘स्किल्ड’ व विषयानुसार ‘एजूकेटेड’ पत्रकारों को ‘प्रोड्यूस’ करने के लिए कटिबद्ध है जो सार्थक पत्रकारिता के माध्यम से समाज के संतुलित विकास के लिए उपस्थित हों। उन्होंने कहा कि यह मंच साहित्यिक धरोहरों को संजो कर रखता है और दिवंगत साहित्यकारों व कलाकारों को उनकी रचनाओं के माध्यम से सदैव जीवित रखने का प्रयास करता है।
सर्वप्रथम स्मृतिशेष निर्मलेंदु शुक्ल के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन किया गया तथा तत्पश्चात् उनकी पुस्तक ‘सुधियों की चाँदनी’ का लोकार्पण किया गया।
परिचर्चा के क्रम में साहित्यकार राजेंद्र शुक्ल ‘राज’ ने कवि के अनेक संस्मरण साझा करते हुये कहा कि वे रचनायें रचते ही नहीं थे वरन् वे उन्हें जीते भी थे।
साहित्यकार कमल किशोर ‘भावुक’ ने उन्हें याद करते हुये बताया कि वे अद्भुत रचनाकार थे और उनके गीत उनकी मौलिकता को स्थापित करते हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार अनूप श्रीवास्तव ने कवि को याद करते हुये कहा कि वे एक अत्यंत समर्थ रचनाकार थे और उनका दुनिया से इतनी जल्दी विदा लेना साहित्य की अपूर्णनीय क्षति है।
प्रसिद्ध ग़ज़लकार राजेंद्र तिवारी ने कहा कि उनके गीत न केवल प्रेम के धागे से ही बुने हुये हैं बल्कि सामाजिक कुरीतियों व अन्याय के विरुद्ध अत्यंत सहज भाव से अपना प्रतिकार भी दर्ज कराते हैं।
कवियित्री व गायिका सरिता कटियार ने निर्मलेंदु शुक्ल को अपने सुरीले गीत के माध्यम से श्रृद्धांजलि अर्पित की एवं ग़ज़लकार कल्पना अग्रवाल ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से दिवंगत कवि को नमन किया।
स्व० निर्मलेंदु शुक्ल की पत्नी व पुत्र यथार्थ शुक्ल भी कार्यक्रम में उपस्थित थे व उनके पुत्र ने अपने पिता को याद करते हुये उनके गीतों को भी स्वर दिया।
प्रसिद्ध ग़ज़लकार माधव बाजपेयी ने निर्मलेंदु जी को उनकी रचनाओं के माध्यम से याद किया और उनकी ग़ज़लों के अने खूबसूरत शेर श्रोताओं से साझा किये।
निर्मलेंदु जी के बाल सखा व साहित्यकार तरुण प्रकाश ने उनके जीवन के अनेक संस्मरण सुनाते हुये उनके अनेक गीतों के अंशों को उनकी मौलिक धुनों में सस्वर भी प्रस्तुत किया।
साहित्यकार अखिलेश त्रिवेदी ‘शाश्वत’ ने निर्मलेंदु जी को याद करते हुये कहा कि वे केवल एक बड़े साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक बड़े व्यक्तित्व के स्वामी भी थे और उन्होंने नवांकुर साहित्यकारों को सदैव प्रोत्साहित किया।
आई सी एन के एडीटर गौरवेंद्र प्रताप सिन्हा ने कहा कि वे निर्मलेंदु जी से साक्षात् तो कभी नहीं मिल सके लेकिन कवि ने अपनी एक चमकदार विरासत छोड़ी है। उन्होंने ‘एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल, जग में रह जायेंगे प्यारे तेरे बोल’ एवं ‘तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे, जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे, संग संग तुम भी गुनगुनाओगे’ जैसे सदाबहार गीत गाकर गीतकार को याद किया।
आई सी एन के एडीटर व साहित्यकार सी.पी.सिंह ने कहा कि एक सच्चा रचनाकार कभी नहीं मरता। रचनाकार की रचनायें उसे अमर बना देती हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपनी प्रसिद्ध अंग्रेज़ी कविता ‘ऐशेज़’ भी सुनाई।
आई सी एन के एक्जीक्यूटिव एडीटर एवं जॉइंट डायरेक्टर सिम्स डॉ शाह नवाज़ सिद्दीकी ने कहा कि भले ही वे इस जन्म में दिवंगत कवि से नहीं मिल सके लेकिन वे किसी न किसी जनम में ऐसे श्रेष्ठ कवि से अवश्य मिलना चाहेंगे। उन्होंने ज़िंदगी के फ़लसफ़े पर दिवंगत कवि को श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुये एक सदाबहार गीत ‘ज़िंदगी का सफ़र, है ये कैसा सफ़र’ सस्वर प्रस्तुत कर श्रोताओं को झूमने के लिये विवश कर दिया।
कार्यक्रम के संयोजक मुनेंद्र शुक्ल दिवंगत कवि को याद कर मंच पर ही भाव विह्वल हो गये और सारा वातावरण अत्यंत भावुक हो गया।
प्रोफ़ेसर प्रदीप माथुर, चेयरमैन सिम्स एवं सीनियर कंसल्टिंग एडीटर आई सी एन ने कहा कि जिस देश का साहित्य श्रेष्ठ होता है, उसकी संस्कृति भी श्रेष्ठ होती है। निर्मलेंदु शुक्ल ने समाज के लिये अपने गीतों के माध्यम से अद्भुत विरासत छोड़ी है।
प्रोफ़ेसर भानु प्रताप सिंह, डायरेक्टर सिम्स ने कहा कि अपने गीतों के माध्यम से निर्मलेंदु शुक्ल सदैव हम सबके बीच रहेंगे।अजय कुमार, सचिव सिम्स ने जब अपनी रचनायें श्रोताओं के समक्ष रखीं।
कार्यक्रम के शीर्ष पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केवल कुमार ने दिवंगत कवि की रचनाओं को संगीत की दृष्टि से भी अत्यंत परिपक्व रचनायें बताते हुये अपनी अत्यंत सुरीली व भावमयी आवाज़ में दिवंगत कवि के संग्रह से त्वरित रूप से एक ग़ज़ल को स्वरबद्ध कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन अखिल आनंद ने किया व एडीटर आई सी एन एवं डीन सिम्स सत्येन्द्र कुमार सिंह, डीन सिम्स ने धन्यवाद ज्ञापन किया।